आशिक – कुमार रंजन
तुम्हारी फिदरत नहीं मुझे पिघलाने कीमै तेरी इस आदाओ पर पिRead More…
The Gyano Hub
तुम्हारी फिदरत नहीं मुझे पिघलाने कीमै तेरी इस आदाओ पर पिRead More…
इस जमाने से जलना छोड़ते हैहम भी अपना मकवारा खड़ा करते हैंRead More…
सुनहरा मौसम, सुनहरा दिन होगाखाता और कलम सा अपना भी मिलन हRead More…
रोज का है नया आसउम्मीद जोरदार हैफोर देंगे उसको हमयहीं बरRead More…
बादल गरजे, मानसून वर्षेआहें तरसे, तेरे दर सेतुम्हारा ख्यRead More…
ये दो पल का हैं जिंदगीमुझे इतना हीं तो जीना हैंदो पल, मुझे Read More…
वो रूठ रहा, रूठने दोवो जूझ रहा, जूझने दो।ये प्रसाद नही, जो Read More…
पग टाप के चलपैर दाब के चलचल – चल चले चलऐ राही…..अपना मकसदन कRead More…
मकान है, दुकान हैचारों तरफ लोग परेशान हैविद्यार्थी का यहRead More…