एक कविता लिखते हैं – कुमार रंजन

कविता

इस जमाने से जलना छोड़ते है
हम भी अपना मकवारा खड़ा करते हैं
प्यार में चार गाली तो क्या
हम भी चप्पल खाने का जज्बात रखते है
ये निब्बा – नीब्बी का चोचला देखा नही जाता
चलो हम भी सस्ता नशा करते हैं
चलो फिर से एक कविता लिखते है।

ठुकराए हुए प्यार को फिर से ईजात करते है
वायरल वीडियो को भूल,
फिर से नई शुरुवात करते है?
कुछ काम बचा थोड़ी करने को
अपना बचा समय बर्बाद करते है
चलो हम भी सस्ता नशा करते हैं
चलो फिर से एक कविता लिखते है।

तू हुस्न परी तू जाने जहां,
तू प्यार मेरा, तेरा इश्क कहां
वाला झूठ का शुरुवात करते है
मेकप के बाद,
तुम्हे किसी निशान से पहचान करते है
मेरा इरादा गलत नही,
तुमसे यही फरमान करते है
चलो हम भी सस्ता नशा करते हैं
चलो फिर से एक कविता लिखते है।

एक बार नही बार – बार करते हैं
रूह से जिस्म का मिलान करते हैं
ओ यो, वो यो का चक्कर छोड़
खुद को खुद में आगाज करते है
बस यही सब तुम से प्यार करते है
चलो हम भी सस्ता नशा करते हैं
चलो फिर से एक कविता लिखते है।

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