बादल गरजे, मानसून वर्षे
आहें तरसे, तेरे दर से
तुम्हारा ख्याल न हटता सर से
तुम मुझसे नयन मिलाओगी क्या?
तुम मेरे दिल में अपने प्यार का घर, बनाओगी क्या?
तुम्हे देख, मेरा दिल धड़के
तुभी देखी थी थोड़ा सा मुड़के
वो सरकता दुप्पटा तेरे सर से
तुम मेरी प्यार का खाता खोलोगी क्या?
तुम मुझे पायथन, जावा से दूर करोगी क्या?
इंजीनियरिंग का भूत है सरपे
कभी केमिस्ट्री तो कभी इलेक्ट्रिकल हैं पढ़ते
लोगो से जान पहचान भी करते
तुम मुझको इस सब से अलग करोगी क्या?
तुम मुझे प्यार नामक संदूक में बंद करोगी क्या?
प्यार के प्याली में मै, बिस्किट सा डूबना चाहता
निब्बा – निब्बी सा तोतला भी बनना चाहता
तुम मेरे सबकुछ हो वाला झूठ,
मै तुम्हारे हीं मुंह से सुनना चाहता
तुम मुझे ये जिगरी दोस्त से अलग करोगी क्या?
तुम मुझे मेरे लक्ष्य से, दूर करोगी क्या?
मेरे जीवन बर्बाद होने का,
तुम भी एक कारण बनोगी क्या
इंजीनियर के नाम का खिल्ली उड़ाने में,
तुम अपना योगदान दोगी क्या
मेरे बाप के कमाएं पैसे को,
उड़ाने में थोड़ा सा मदद करोगी क्या ?
तुम मुझे चार साल बाद,
अपने पति के कंपनी में प्यून का जॉब दिलबाओगी क्या?
तुम मुझसे प्यार करोगी क्या?