चले चल

कविता

पग टाप के चल
पैर दाब के चल
चल – चल चले चल
ऐ राही…..
अपना मकसद
न किसी को बता के चल।

चल उठ कुछ और चल
रास्ते में तू होगा असफल
आज या कल
कभी किसी भी पल
होगा तेरे समस्या का हल
चल – चल थोड़ा और टहल।

तेरे हर कदम पर अंगार हैं
यही तेरा सही मार्ग है
आज तप और थोड़ा ज्यादा जल
कल जो आएगा , वो होगा तेरा कल।

पग टाप के चल
पैर दाब के चल
चल – चल चले चल
ऐ राही…..
अपना मकसद
न किसी को बता के चल।

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